छील्येन पर्वत के पारिस्थितिक संकट को समाप्त करे
छील्येन पर्वत पश्चिमोत्तर चीन का पारिस्थितिक बाधा है और गांसू प्रांत, भीतरी मंगोलिया, छिंगहाई प्रांत आदि क्षेत्रों का जल संरक्षण क्षेत्र भी है। लेकिन दशकों से बड़े पैमाने पर अव्यवस्थित विकास के कारण स्थानीय पारिस्थितिक पर्यावरण संकट में पड़ा। मानव गतिविध्यों से, जैसे खनिज भंडार की खोज, पर्यटन का विकास, नोमाडिक उद्योग में उत्पादन, नाजुक पारिस्थितिक पर्यावरण इस की बोझ सीमा से अधिक बिगडा है। और भी इन सालों में ग्रीन हाउस प्रभाव बिगड़ रहा है, पहाड़ों में हिम रेखा बढ़ रही है और पहाड़ों के ऊपर हिमनदी तेज़ी से पिघल रही है। इन की वजह से पारिस्थितिक संकट नदियों की निचली घाटियों से फैलने लगा।
पिछले जुलाई में छील्येन पर्वत राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षणक्षेत्र में पारिस्थितिक पर्यावरण के बारे में चीन सरकार ने अधिसूचना जारी की। पारिस्थितिक पर्यावरण बिगड़ने के कारण में ये भी मिलते हैं कि कानूनों और विनियमों का गंभीर उल्लंघन से खनिज संसाधनों का विकास किया गया और कुछ जलविद्युत सुविधाओं का निर्माण किया गया और चलाया गया, आसपास कारखानाओं का बहुत गंदा पानी चोरी से निकाला गया; पारिस्थितिक पर्यावरण में गंभीर समस्याओं का अच्छी तरह से नहीं सुधार किया गया।
कह सकते हैं कि वास्तव में छील्येन पर्वत के पारिस्थितिक पर्यावरण की समस्याएं विशिष्ट विकास में “बाज़ार की विफलता” और “सरकार की विफलता” ये दोनों विफलताओं से पैदा है। चाहे खनिजों की खुदाई या हाइड्रो का विकास, संबंधित कंपनियां चलते समय गंदा पानी निकालती हैं, जो पर्यावरण पर थोड़ा-बहुत प्रभाव डालता है। बाज़ार से देखकर यह निसंदेह है कि व्यापार ईकाइयां उत्पादन के पैमाने का विस्तार करना पसंद करती हैं। एसी स्थिति में प्रभावी बाहरी निगरानी की कमी है और बाज़ार पर्यावरण में अव्यवस्थित है तो समय के साथ पारिस्थितिक पर्यावरण में गिरावट पड़ा।
इसलिये छील्येन पर्वत की पारिस्थितिक संकट के बारे में “सरकार की विफलता” तो एक स्पष्ट तत्व बना है। सरकारी अधिसूचना के अनुसार छील्येन पर्वत के पारिस्थितिक पर्यावरण की समस्याएं कानूनों और नियमों के उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं से संबंध हैं। स्थानीय सरकार छील्येन पर्वत के क्षेत्रों की हेई ह नदी, शि यांग नदी, शू ल नदी आदि नदियों पर जलविद्युत का विकास कर बैठती है। सरकार ने कुल मिलाकर 150 से अधिक पनबिजलीघर स्थापित किये, इन में 42 पनबिजलीघर प्रकृति संरक्षण क्षेत्रों में हैं और उन में बहुत समस्याएं उठ गयीं जैसे सरकार ने नियमों के उल्लंघन से जांचकर 42 पनबिजलीघर की स्थापना को स्वीकृति दी, ठेकेदारों ने सरकार की स्वीकृति देने के पहले पनबिजलीघर स्थापित किये और औपचारिकताओं का अभाव है। आर्थिक विकास विभाग से पर्यावरण संरक्षण विभाग और सथानीय विधान विभाग तक विविधतापूर्ण कारणों से ये नियमों के उल्लंघन से चलती परियोजनाओं ने बेशक पारिस्थितिक पर्यावरण की रक्षा के महत्व को अनदेखा की। पर्यावरण के ऐसे प्रभाव से, जो प्रभाव अकेले कंपनी अपने विकास के दौरण डालती है, सरकार के आधार पर पर्यावरण का प्रभाव अधिक व्यापक है और अधिक स्पष्ट हानी पहूँचती है।
ऐसा क्यों? ये कारण हैं कि स्थानीय आर्थिक विकास पीछे करते समय छील्येन पर्वत का पारिस्थितिक संकट पैदा हुआ है। व्यापक तरीके से आर्थिक विकास इतना पसंद है कि परियोजनाओं के द्वारा पर्यावरण के विनाश पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया गया। बाज़ार और कंपनियों के पारिस्थितिक पर्यावरण पर बुरे प्रभाव की तुलना में छील्येन पर्वत के पारिस्थितिक संकट में से सब से गंभीर समस्या है कि बाज़ार के बजाये स्थानीय सरकार ने व्यापक तरीके से आर्थिक विकास में अधिक से रूची रखी। आर्थिक विकास के नाम पर पारिस्थितिक पर्यावरण को चोट पहूँचाने वाली स्थानीय सरकार ही है।
इसलिये छील्येन पर्वत की पारिस्थितिक संकट बने के कारणों का अधिक सही कथन है कि वह स्थानीय सरकार के द्वारा आर्थिक विकास के पीछे करने से पैदा है। मैं इस पर ज्यादा ध्यान रखूंगा कि आर्थिक विकास के कदम से स्थानीय सरकार के पारिस्थितिक पर्यावरण सुधारने की मांग के कदम नहीं मिला सकता। यानी जब अर्थ एक सकारात्मक या चेतावनी संकेत भेजता है कि पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिये तो इस के साथ सरकार ऐसा संकेत शायद नहीं भेजती। कारण है कि स्थानीय सरकार और निर्णय निर्माता पर प्रभाविक तत्व अर्थतंत्र खुद से अधिक जटिल हैं और अक्सर हिस्टैरिसीस भी है।
तो छील्येन पर्वत का पारिस्थितिक संकट कैसे हल करे? पारंपरिक पर्यावरण अर्थशास्त्र सिद्धांत के अनुसार अकेले कंपनियों के अपने उत्पादन और संचालन में पर्यावरण पर बुरा प्रभाव धीरे धीरे से बढ़ गया। ऐसे समय मे “बाज़ार की विफलता” और “सरकार की विफलता” ये दोनों प्रभाव से संसाधन उपयोग और पर्यावरण के विनाश की स्थिति लंबे समय के संचय करने में बिगड़ गयी। इस के साथ तरह तरह के पारिस्थितिक संकट भड़क गयीं। इसलिये पारिस्थितिक पर्यावरण पर बुरी स्थिति को सुधारना और बाज़ार व सरकार की विफलता को परिवर्तित करना पारिस्थितिक संकट को काबू में करने का मुख्य उपाय और आंतरिक तर्क है।
बाज़ार की बिगड़ी स्थिति सुधरने का मतलब है कि उत्पादन और खपत जैसी बाजार कार्यवाइयों की पर्यावरण निगरानी के नियंत्रण पर ज़ोर करना और छील्येन पर्वत के स्थानीय पारिस्थितिक पर्यावरण के खुद को चोट न करने के आधार पर मानव की सभी कार्यवाहियों का भारवहन करने के बारे में उचित नियम बनाना। दूसरे क्षेत्रों की तुलना में छील्येन पर्वत राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण क्षेत्र है। पर्यावरण की रक्षा का नियम और कड़ा होना चाहिये। पर्यावरण मानकों की उन्नति से बाज़ार पारिस्थितिक पर्यावरण के प्रभाव से बचा सकेगा और बेहतर उत्पादन और खपत का विकास हो सकेगा। इसलिये सरकार को कानूनों और नियमों, अर्थ व्यवस्था और वित्त, प्रचार और शिक्षा आदि विविधतापूर्ण पर्यावरण संरक्षण के माध्यमों से सामाजिक लागत और सामाजिक लाभांश दोनों क्षेत्रों पर पारिस्थितिक पर्यावरण प्रयोग का संतुलित विकास करना चाहिए। ताकि सरकार सब से बड़े हद तक संसाधन का युक्तिसंगत वितरण करे और सब से अधिक लाभ प्राप्त कर सके।
सरकार की निगरानी की जाने का मतलब है कि सरकार के “कमज़ोर निरीक्षण” को मिटाना। आज आर्थिक विकास की आवश्यकता के कारण स्थानीय सरकार पर्यावरण की रक्षा में कुछ भी काम नहीं करती और बेअकली और बेपरवाही से काम करती है, जो पारिस्थितिक संकट पैदा होने का एक मुख्य तत्व है। इसलिये न केवल कानूनों और नियमों के अनुसार संबंधित सरकारी विभागों को काम करना चाहिये और पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिये बल्कि मुख्य नेताओं की प्रदर्शन मूल्यांकन सिस्टम बनाते समय स्थानीय सरकार को पारिस्थितिक पर्यावरण की रक्षा करने पर ज्यादा ध्यान रखना चाहिये ताकि सरकार सच्चे माइने में पारिस्थितिक पर्यावरण की रक्षा की जिम्मेदारी ले सके और बाज़ार का रक्षक बन सके।
विकास को बढ़ावा दिया जाने का मतलब है कि आर्थिक विकास की मांग पारिस्थितिक पर्यावरण की रक्षा की मांग से मिल जाना। आर्थिक विकास में पारिस्थितिक पर्यावरण की और अच्छी तरह से रक्षा की जाने की जरूरत है। सिद्धांत और अभ्यास पूरी तरह से साबित हुआ है कि आर्थिक विकास पर्यावरण संरक्षण का प्रमुख स्तंभ है। किसी भी पर्यावरण संरक्षण जानी-माली समर्थन से अलग नहीं रह सकता है। आर्थिक विकास पर्यावरण संरक्षण को विविधतापूर्ण क्षमता निर्माण और गारंटी दे सकता है और निरंतर ताजा खून प्रदान कर सकता है। निसंदेह यहां का “आर्थिक विकास “ पर्यावरण संरक्षण की मांग से मेल खाने वाला उद्योग विकास ही है। छील्येन पर्वत राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण क्षेत्र का उदाहरण ले, आर्थिक विकास और पर्यावरण की रक्षा में अंतर्विरोध नहीं है। पर्यावरण संरक्षण के मापदंड के अंदर सरकार उत्पादन और व्यापार प्रचलन कर सकती है, साथ ही सरकार वन-उद्योग और पशु-पालन के मूल्य वर्धित उच्च तकनीक उत्पादों का विकास, इंटरनेट के सहारे “इंटरनेट+वन-उद्योग”, “इंटरनेट+पशु-पालन” आदि नये उद्योगों का विकास जैसे राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण क्षेत्र की श्रेष्ठता का उपयोग कर कुछ विशेष उद्योगों का विकास भी कर सकती है, ताकि बाज़ार का विस्तार करे और ज्यादा लाभ पा सके।
पिछले साल से छील्येन पर्वत के पारिस्थितिक पर्यावरण की बिगड़ी स्थिति सुधारने के लिये गांसू प्रांत की स्थानीय सरकार कुछ कदम उठाने लगी। उस ने पर्यावरण की रक्षा के लिये सब से गंभीर नियम बनाकर जारी किये। नियमों का उल्लंखन करने वाली कंपनियों और उन के व्यापार करने के स्थलों को बंद किये गये। राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण क्षेत्र में 42 पनबिजलीघर बंद किये गये या पुर्निर्माण किये गये। नीचले भाग के लिये पर्याप्त पानी की प्रतिभूति देने के लिए वीडियो निगरानी और डेटा निगरानी के उपकरण लगाये गये। पहले छील्येन पर्वत के राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण क्षेत्र के आधार पर और ज्यादा क्षेत्रों को नवनिर्मित छील्येन पर्वत राष्ट्रीय पार्क में शामिल किये गये। इसलिये अब उस का क्षेत्रफल पहले से दोगुनी से अधिक है। इस के साथ ग्रीन विकास करने के लिये गांसू प्रांत ने आगामी विकास का निर्देशन करने के लिये 10 ग्रीन उद्योगों की विकास परियोजनाएं बनायीं जिन में ऊर्जी की बचत, पर्यावरण-संरक्षण, सांस्कतिक पर्यटन आदि ग्रीन उद्योग शामिल हैं। हमें विश्वास है कि इन कदमों से स्थानीय पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के बीच फिर एक बार संतुलन संबंध स्थापित हो सके और छील्येन पर्वत के क्षेत्र में ग्रीन विकास साकार किया जा सके।
लेखक ली जीछिंग फूतान विश्वविद्यालय में पर्यावरण आर्थिक अनुसंधान केंद्र के उप निदेशक हैं।