चीन-भारत फ़िल्म सहयोग की संभावनाएं

यदि दोनों देश इन अनुकूल परिस्थितियों का फ़ायदा दीर्घकालीन विकास के लिए उठायें तो यह निवेशकों, उद्योगपतियों, और दर्शकों में चीनी-भारत फिल्म सहयोग के उज्ज्वल भविष्य के लिए विश्वास भरेगा।
by शु हुई
Jai bhim
भारतीय फिल्म ‘जय भीम’ का एक पोस्टर। 1993 में तमिलनाडु में हुई एक वास्तविक जीवन की घटना से प्रेरित, यह चंदू नाम के एक मानवाधिकार वकील के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक आदिवासी जोड़े को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहा है। (डौबन)

बारहवीं बीजिंग इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल (बीजेआईएफएफ) "यूनाइटेड वी एडवांस" (एकजुटता से आगे बढ़ते) की थीम पर 13 अगस्त, 2022 को शुरू हुआ। इसका उद्देश्य विश्व की श्रेष्ठ कृतियों का प्रदर्शन करना और फ़िल्म विनिमय और सहयोग को बढ़ावा देना था। पूरे विश्वभर में 89 देशों से पेश की गयी 1450 फ़िल्मों में से दो भारतीय फ़िल्में, जय भीम और सरदार उधम, तथा चयन की गयी 14 अन्य फ़िल्में थ्येनथान अवार्ड के लिए आखिरी दौर में पहुंचीं। 

सन् 1993 में तमिलनाडु के प्रसिद्ध हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) मामले पर आधारित फ़िल्म जय भीम निर्भीकता से जाति-आधारित भेदभाव के निर्दयी सच को उजागर करती है। अपने असाधारण कहानी और ऑडियो-वीडियो डिवाइस (श्रव्य-दृश्य उपकरण) वाली यह फ़िल्म मनोरंजक के साथ कलात्मक  गुणवत्ता पर भी खरी उतरती है। इसे आईएमडीबी पर 8.9 रेटिंग वहीं चीनी मीडिया समीक्षा मंच डोबान पर 8.7 मिली है। 

दूसरी फिल्म सरदार उधम सन् 1919 में हुए जलियांवाले बाग हत्याकांड और मार्च 1940 में लंदन में सरदार उधम सिंह द्वारा माइकल ओ ड्वायर की हत्या पर आधारित है। यह दोनों फ़िल्में चीनी फ़िल्म उद्योग को कलात्मक भावों को कमर्शियल सिनेमा में बुनने को लेकर गंभीरता से विचार करने पर मजबूर करती हैं।

वास्तव में बीजेआईएफएफ और भारतीय फ़िल्मों में संबंध कई सालों पहले सामने आया था। सन् 2019 में 9वें बीजेआईएफएफ के दौरान "इंडियन फ़िल्म वीक" नाम का एक विशेष सत्र रखा गया था। सर, इत्तेफाक, लव पर स्क्वायर फूट, पाथेर पांचाली। अपराजितो और अपुर संसार जैसी करीब 10 शानदार नयी और पुरानी विभिन्न सिनेमेटिक स्टाइल (सिनेमाई शैली) की फ़िल्में दिखाई गईं थी।

नौवें बीजेआईएफएफ के दौरान चीनी और भारतीय फिल्म निर्माताओं जैसे की सीक्रेट सुपरस्टार के सह-निर्माता प्रसाद शेट्टी और बजरंगी भाईजान के निर्देशक कबीर खान ने 19 अप्रैल 2019 को चीन-भारत फ़िल्म सहयोग पर एक प्रेस कान्फ्रेंस में भाग लिया। उन्होंने चीन-भारत फ़िल्म विनिमय और पूरे उद्योग में निवेश, फ़िल्म बनाना, निर्माण, मार्केटिंग और आपसी पूरकता की भावना पर आधारित रिलीज़ सह-निर्माण तथा सबकी जीत के सहयोग पर बातें कीं। साथ ही वैश्विक फ़िल्म उद्योग के भूदृश्य को पुनः आकार देने के लिए हाथ मिलाने पर भी चर्चा की। भारतीय और चीनी फ़िल्मों के वैभवशाली भविष्य के लिए उत्सव के समापन समारोह के दिन भारतीय फ़िल्म जीरो का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान फ़िल्म के प्रमुख कलाकार शाहरुख़ खान ने चीनी प्रशंसकों से संवाद किया। यह उल्लेखनीय है कि भारतीय फ़िल्म फियर ने इस उत्सव में सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी के लिए थ्येनथान अवार्ड जीता।

पिछले कुछ सालों से चीनी सिनेमाघरों में कई भारतीय फ़िल्में प्रदर्शित हुई। चीनी दर्शकों ने भारतीय फ़िल्मों को कुशाग्र बुध्दि सामाजिक टिपण्णी और प्रबुद्ध निर्माण के साथ अपनाया। वास्तविकता पर आधारित और मनोरंजन से भरी फ़िल्में जैसे कि दंगल, सीक्रेट सुपरस्टार, हिंदी मीडियम और पैडमैन को चीन में अच्छा प्रतिसाद मिला और बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी कमाई की। इस लोकप्रियता ने भारत के लिए विदेशी बॉक्स ऑफिस मार्केट में उत्तर अमेरिका की जगह चीन ने लिया।

जानेमाने भारतीय फ़िल्म निर्माताओं और कलाकारों के नियमित चीन दौरे ने चीनी फ़िल्मी दर्शकों के साथ एक रिश्ते का निर्माण किया है। भारतीय केसबसे लोकप्रिय फ़िल्मी कलाकारों में से एक आमिर खान को चीनी प्रशसंक "अंकल मी" के नाम से बुलाते हैं। उनकी फ़िल्में अक्सर पिछड़ी हुई शिक्षण प्रणाली, धर्मों की अंधभक्ति, सड़ी हुई जाति प्रणाली और निश्चित सामजिक वर्गीकरण की निर्भीकता से आलोचना करती है जिसकी मदद से चीनी दर्शक दक्षिण एशियाई देश के बारे और अधिक जान सकते हैं। आमिर खान और उनकी तरह बॉलीवुड के अन्य कलाकार शाहरुख़ खान, ह्रितिक रोशन, यामी गौतम, और रानी मुख़र्जी सभी चीन जाकर चीनी प्रशंसकों से मिले हैं और एंडी लौ, हुआंग बो, वांग बाओछ्यांग और तंग छाओ जैसे अपने चीनी समकक्षों के साथ फिल्म कार्यक्रमों में भाग लिया। चीनी कुंगफू स्टार जैकी चैन ने भी भारत में हुए चीनी फ़िल्म फेस्टिवल में भाग लिया और भारतीय फ़िल्म निर्माताओं से विचारों का आदान-प्रदान किया। इस तरह के विनिमय और संवाद चीनी और भारतीय मोशन पिक्चर हस्तियों के बीच फिल्म सहयोग को प्रोत्साहन दिया और आपसी समझ को बेहतर किया है। 

साल 2019 में जब दोनों देशों के बीच फ़िल्म क्षेत्र का सहयोग एक शिखर पर पहुंचने के बाद लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। दुर्भाग्य से कोविड-19 महामारी ने फ़िल्म सहयोग की राह में रुकावटें पैदा कर दीं। वैश्विक फ़िल्म उद्योग को भी बहुत नुकसान हुआ। इस झटके से हतोत्साही होने की जगह चीनी और भारतीय फ़िल्म निर्माताओं ने अपने को एकजुट किया और फ़िल्म निर्माण और प्रदर्शन को जितना जल्दी हो सका शुरू कर दिया। 

चीन और भारत दुनिया के एक तिहाई जनसंख्या का घर है। ऐसे में यह बहुत बड़ा दर्शक बेस तैयार करता है। विश्व के सर्वाधिक फ़िल्म प्रदर्शन और सबसे अधिक बॉक्स ऑफ़िस राजस्व तथा फ़िल्म निर्माण में दुनिया के सर्वोच्च तीन में अपनी जगह बनाने के साथ चीनी फ़िल्म क्षेत्र का ठोस आधार है। सालाना फ़िल्म के निर्माण में भारत पूरे विश्व में पहले क्रमांक पर है और इस समय बहुभाषीय फ़िल्म उद्योग भी अपने उफान पर है। भारत की फ़िल्में विदेशों में अच्छी कमाई कर रही हैं। यदि दोनों देश इस अनुकूल परिस्थितियों का फ़ायदा दीर्घकालीन विकास के लिए उठाये तो यह निवेशकों, उद्योगपतियों, और दर्शकों में चीनी-भारत फिल्म सहयोग के उज्जवल भविष्य के लिए विश्वास भरेगा।

लेखक डालियन पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक हैं और बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी में पीएच.डी. के प्रत्याशी हैं।