चीनी भाषा में भारतीय लोककथाएं

भाषा सीखने के लिए स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से संबंध की आवश्यकता होती है। विदेशी भाषा में शिक्षा के बुद्धिजीवी संवाद का मूल है। भारत में चीनी सीखने के क्षितिज को भारतीय लोककथाएं आसान बना सकती हैं।
by शिखा पांडेय
Mumbai university
बी.ए. के छात्र। चीनी अध्ययन कार्यक्रम में मुंबई वश्वविद्यालय के परिसर में एक समूह अध्ययन सत्र है। (फोटो लेखिका के सौजन्य से)

साल 2013 में अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए की गयी चीन की मेरी पहली यात्रा सुनियोजित नहीं थी। इसके आलावा, चीनी भाषा में अपनी मास्टर्स की डिग्री करना और फिर भारत में शिक्षक में कदम रखना कभी भी करियर का हिस्सा नहीं था। यह तब भी नहीं जब मुंबई से मैंने कंप्यूटर साइंस से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। पांच साल से अधिक समय बीत गये हैं जब से मैंने भारत में चीनी भाषा सीखाने की शुरुआत की। इस दौरान मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे।

भारतीयों को चीनी पढ़ाने का मेरा अनुभव हमेशा से एक सीखने की प्रक्रिया रही है और मैंने यह समझा है कि चीनी पढ़ाना किसी भी स्थानीय शिक्षक के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण है। स्थानीय चीनी शिक्षकों के लिए भारत में सबसे बड़ी चुनौती में से एक पढ़ाने की सामग्री को सीखने वालों के अनुरूप अधिक रोचक और मनोरंजक बनाना है। भारतीय विश्वविद्यालयों में उपयोग में लाया गया पढ़ाने की सामग्री अक्सर चीन से आयी होती हैं, लेकिन ज्यादातर कालबाह्य हो चुकी होती हैं। पढ़ाने की सामाग्री में अंतरसांस्कृतिक संवाद, जो भारत में भाषा पढ़ाने के लिए जरूरत है, पर ध्यान की कमी होती है।

मैं हमेशा से इस क्षेत्र में योगदान करने के लिए इच्छुक थी और चीनी भाषा के लिए इस तरह की सामग्री बनाने पर काम करना चाहती थी जो शिक्षकों और सीखने वालों की जरूरतों को पूरा करता हो। इसने मुझे 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी की वजह से एक ठहराव पर थी तब अकबर और बीरबल की लोक कथाओं का अनुवाद चीनी भाषा में करने के विचार पर काम करने का अवसर दिया। उस समय लोगों के अध्ययन की आदत और काम ऑफलाइन से ऑनलाइन में बदल गयी।

चीनी अध्ययन में तीन वर्षीय बी. . का भाग होने की वजह से प्रत्येक विद्यार्थी को आखिरी छमाही में इंटर्नशिप करना था। चूंकि उस समय पूरी दुनिया लॉकडाउन में थी विद्यार्थियों के पास मुंबई में किसी भी स्थानीय या चीनी कंपनी के पास इंटर्नशिप के अवसर के विकल्प नहीं थे। इसलिए हमने कुछ ऐसा करने का तय किया जिसके तहत घर से बाहर नहीं निकलना पड़े लेकिन ग्रेजुएशन के शैक्षणिक जरूरतों को पूरा कर सके। 

इस तरह मुझे भारत में चीनी सीखाने की सामग्रियों पर काम करने का अवसर मिला। मेरी अवधारणा यह थी कि भारत में चीनी सीखने वालों के लिए इस तरह की सामाग्री तैयार की जाए कि वे भाषा से आसानी से जोड़ सकें और अपने बचपन की लोक कथाओं के माध्यम से सीख सकें। मैंने हमेशा यह माना है कि भाषा सीखने की प्रक्रिया में स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के संबंध की आवश्यकता होती है जो एक विदेशी भाषा के शिक्षण में बुद्धिजीवी संवाद का मूल होता है। मूल सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से जुड़ाव के बिना भाषा सीखने वालों को भाषा से संबंध स्थापित करना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है। विशेष रूप से भारतीय-यूरोपियन भाषायी लोगों के लिए सायनो-तिब्बती प्रणाली की मैंडरिन चीनी सीखना और अधिक समय व अभ्यास मांगता है। अंग्रेजी, जर्मन और फ्रेंच जैसी यूरोपियन भाषा भारतियों के लिए सीखना आसान होती हैं।

चूंकि अकबर और बीरबल की लोककथाओं में बहुत सारी छोटी कहानियां हैं, हमारा सबसे पहला काम था भारतीयों में सर्वाधिक लोकप्रिय 10 कहानियों को चुनना। इस तरह हमने अपनी कहानियों को चुना और हमारा काम शुरू किया। चायनीज़ स्टडीज से बी. . करने वाले तीसरे वर्ष के दो छात्रों ने इस अनुवाद की योजना में बतौर इंटर्नशिप शामिल हो गए। क्वांगतोंग प्रांत के साउथ चाइना नार्मल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शांग छ्वानयू के साथ मैं प्रूफरीडिंग और किताब के नमूने का संपादन और रुपरेखा के लिए जिम्मेदार थी।

हमने तस्वीरवाली किताब का विचार किया था इसलिए अनुवाद के साथ चित्रण एक और चुनौती थी। किसी भी चित्र वाली किताब में तस्वीरें प्रमुख आकर्षण होती हैं और वह विषय वाक्य की अवधारणा को बताते हैं। हमारे विद्यार्थियों ने एक पेशेवर चित्रकार ढूंढा और उन्होंने शानदार काम किया। यह काम 2020 के आखिर में शुरू होकर अप्रैल 2022 को पूरा हुआ। चीनी भाषा में अकबर और बीरबल की कहानियों वाली इस 56-पन्नों के चित्रण वाली किताब को पूरा होने में एक साल से अधिक का समय लग गया।

पहली बार में हमें जितना आसान यह काम लगा था उतना नहीं था। प्रत्येक कहानी के अनुवाद के बाद मैंने इसे बेहद सावधानीपूर्वक पढ़ा और दोबारा पढ़ने के लिए प्रोफेसर शांग को भेजा। उन्होंने हमारे विद्यार्थियों को गुणवत्ता अनुवाद पर काम करने पर मदद की और उनके भाषा की कौशलता को मजबूत किया। यह एक लेखन और चित्र की कहानी की किताब से कहीं ज्यादा बन गयी। प्रत्येक कहानी के साथ अंत में शब्दावली की सूची और अभ्यास दिया जाता है। मैंने इस किताब को चीन में प्रकाशित करने का फैसला किया जिससे वहां की यूनिवर्सिटी और स्कूलों में विद्यार्थियों को भारतीय लोककथाओं के बारे में पढ़ाया जा सके। यह भारतीय संस्कृति और समाज से जुड़ने का एक बेहतर माध्यम हो सकता है।

इसके आलावा, अकबर और बीरबल की लोककथाएं सभी के लिए सार्वभौमिक नैतिक शिक्षा देती हैं। हमारा एक उद्देश्य हमेशा भारत एंव चीन के बीच शैक्षणिक विनिमय और संवाद को मजबूत करना है। साथ ही दोनों तरफ के विद्यार्थियों को संस्कृति और समाज का सकारात्मक सामना कराना है। वैश्वीकरण और प्रौद्योगिक दौर में स्वस्थ संवाद भारत और चीन के युवाओं को लाभ पहुंचाएगा, और यह उनके लिए बेहतर समाज तथा भविष्य के लिए शांति, प्रेम और आपसी सम्मान के माध्यम से एक बेहतर दुनिया बनाएगा। मुझे उम्मीद है कि यह किताब भारतीयों में चीनी भाषा सीखने के लिए आपसी रूचि पैदा करने में महत्वपूर्ण किरदार निभाएगा तथा चीनी लोगों को भारतीय संस्कृति और समाज समझने में सहायता करेगा। 

लेखिका बी.. इन चायनीज़ स्टडीज कार्यक्रम और मुंबई विश्वविद्यालय के कन्फ़्यूशियस इंस्टिट्यूट में बतौर शिक्षक काम करती हैं। उन्होंने चीन के थ्येनचिन नार्मल यूनिवर्सिटी से 2017 में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। बीजिंग लैंग्वेज एंड कल्चर यूनिवर्सिटी में 2020 में अपने पीएच.डी. अध्ययन के पहले वे मुंबई विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर थीं।