14वीं पंचवर्षीय योजना: विकास की ओर लगातार अग्रसर

पिछली पंचवर्षीय योजना का तार्किक विस्तार होने के साथ-साथ, 14वीं पंचवर्षीय योजना में चीन ने अपना ध्यान अपने लोगों और ऐसे देशों की ज़रूरतों की ओर केंद्रित किया है जो चीन के साथ कदम से कदम मिलाकर, साझी अर्थव्यवस्था वाले एक समृद्ध विश्व का निर्माण करना चाहते हैं।
by टालिंग टेने रॉड्रिग
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14 मार्च, 2021: चीन के सबसे दक्षिणी हाईनान प्रांत के वांगनिंग शहर की शानगन काउंटी में किसानों ने अनानास की कटाई की। महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों से आयात घटने से हाईनान के अनानास की कीमत दोगुनी हो गई है। अनानास उगाकर स्थानीय किसानों ने गरीबी को दूर किया है। (आईसी)

हाल के दशकों में, चीन ने विकास के एक ऐसे मॉडल और शासन व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाया है जो दुनिया में सकारात्मक बदलाव ला रही है। खास तौर पर, चीन के ये कदम चीन के लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में कारगर रहे हैं। पारंपरिक तौर पर चली आ रही पंचवर्षीय योजना में, देश प्रायः अगले पाँच सालों के दौरान, विकास के लिए उठाए जाने वाले कदमों के पीछे के सिद्धांतों और दर्शन की रूपरेखा सामने रखता है। 13वीं पंचवर्षीय योजना (2016-2020) काल के दौरान अपनी मुख्य सफलताओं को हाइलाइट करने के अलावा, पेइचिंग में इस साल के दो सत्रों में 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) पर विचार-विमर्श किया गया। अगले पाँच सालों के लिए पेश किए गए योजना प्रस्ताव, आज के दौर की सबसे अहम चुनौतियों को लक्ष्य करते हैं।

अफ़्रीकी महाद्वीप के नज़रिए से, अगले पाँच सालों के दौरान चीन के विकास की रूपरेखा तय करने वाले प्रस्तावों में, यहाँ दिए जा रहे पाँच बिंदु खास तौर से लाखों युवा अफ़्रीकी लोंगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं, जिनके लिए चीन के बाज़ारों का खुलना अफ़्रीका में फिर से नई ऊर्जा भरने की उम्मीद जगाता है:

 

  1. पारिस्थितिकी सभ्यता का विकास करने की योजना

अफ़्रीकी महाद्वीप  जलवायु परिवर्तन से सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। हालाँकि, हम सभी, वैज्ञानिकों की इस बात को मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन मुख्य तौर पर मानव गतिविधियों की वजह से ही होता है, लेकिन दुनिया के बहुत कम ऐसे औद्योगिक पावर हाउस (प्रदूषक) देश हैं जो पूरी मानवता का ख्याल करके अपने कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की बात करते हैं। चीन के विकास प्रस्तावों के हिसाब से, देश एक ऐसा एक्शन प्लान तैयार करेगा जिससे चीन का कार्बन उत्सर्जन 2030 से पहले अपनी अधिकतम सीमा तक पहुँच जाए। “पारिस्थितिकी सभ्यता” की चीन की अवधारणा उस नज़रिए की ओर एकदम सटीक कदम है जो मानवता की मौजूदा पीढ़ी और उसकी आने वाले पीढ़ियों के लिए, एक मजबूत, आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल सभ्यता का निर्माण करने के लिए दुनिया के प्रतिबद्ध देशों द्वारा अपनाया जाना चाहिए। अगर 2030 तक चीन हरित विकास लक्ष्यों के अपने वादों को हासिल कर लेता है, तो वह आधुनिक दुनिया के देशों के लिए ऐसे विकास मॉडल की भूमिका निभा सकता है।

  1. जन-केंद्रित शासन व्यवस्था को बढ़ावा देने की योजना

लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, पिछले संघर्षों के हजारों-सैकड़ों पीड़ित लोगों को उनकी गरिमा वापस दिलाने में, और समाज में कानून के शासन को मजबूत बनाने में चीन की सफलताएँ झुठलाई नहीं जा सकतीं। इसके बावजूद, पश्चिम के कुछ मीडिया घराने, “मानवाधिकारों” के नकाब तले चीन की आलोचना कर रहे हैं और चीन के घरेलू मामलों में दखल दे रहे हैं। सीपीसी के प्रस्तावों में “जन-केंद्रित दृष्टिकोण पर टिके रहने, विकास के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाने, सुधारों को गहरा करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को खोलने, और व्यवस्था को बेहतर बनाने वाली अवधारणाओं पर टिके रहने” पर जोर दिया गया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और जन-केंद्रित शासन को मजबूत करने के उद्देश्य के साथ, चीन निश्चित तौर पर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

  1. उच्च स्तर की मुक्त अर्थव्यवस्था का निर्माण करने का लक्ष्य

चीन दुनिया की सबसे बड़ी बाजार अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने की चीन की नीति ने विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को स्पष्ट रूप से ऊपर उठाया है और अफ़्रीकी अर्थव्यवस्थाओं के लिए वैकल्पिक बाजार खोल दिए हैं। हालाँकि, चीन में काम रहे विदेशी उद्यमों की बौद्धिक संपदा को लेकर चिंताएँ जाहिर की गई हैं, लेकिन यह भी सच है कि बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिए चीन ने काफ़ी सुधार किए हैं। साथ ही, विकास प्रस्तावों में यह भी लक्ष्य रखा गया है कि चीन “अर्थव्यवस्था को और खोलेगा, व्यापार अवसरों और निवेश के क्षेत्र में उदारीकरण को बढ़ावा देगा, और व्यापक स्तर पर अपने विदेशी व्यापार की प्रतिस्पर्धा क्षमता को मजबूत करेगा।”

  1. बाकी देशों के साथ मिलकर चीन का, बेल्ट एंड रोड के उच्च गुणवत्ता वाले निर्माण कार्य का लक्ष्य

शुरुआत से ही, बेल्ट एंड रोड का निर्माण, इसमें शामिल तमाम देशों के सहयोग से चलने वाली एक वैश्विक पहल रही है। 14वीं पंचवर्षीय योजना पत्र में लिखे उद्देश्यों की तरह ही, बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल दुनिया भर के देश, “औद्योगिक और आपूर्ति शृंखलाओं पर आधारित पारस्परिक रूप से लाभकारी एक ऐसी सहयोग प्रणाली विकसित करना चाहते हैं जिससे उत्पादन में वैश्विक सहयोग बढ़े, और द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिले।”

  1. वैश्विक आर्थिक शासन (ग्लोबल इकॉनोमिक गवर्नेंस) के सुधारों में सक्रिय भूमिका निभाने की चीन की प्रतिबद्धता

दुनिया के कम विकसित महाद्वीप होने के नाते, अफ़्रीका को इस समय वैश्विक आर्थिक तंत्र में सुधारों की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। एयू के एजेंडा 2063 में निर्धारित किए गए विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अफ़्रीकी देशों को, महाद्वीप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) बढ़ाने की भी सख्त ज़रूरत है। इसके अलावा, वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में अफ़्रीकी देशों की हिस्सेदारी बढ़ाए बिना भी इन लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता। चीन, पहले ही अफ़्रीका में सबसे बड़ा निवेश देश है, दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं अमेरिका और फ़्रांस। एफ़डीआई इंटेलिजेंस और ईवाई अफ़्रीका अट्रैक्टिवनेस रिपोर्ट, 2019 के हिसाब से, 2019 में फ़्रांस या अमेरिका के डॉलर निवेश के दोगुने निवेश के साथ, चीन कुल पूंजी निवेश के मामले में सबसे बड़ा निवेशक देश रहा। अफ़्रीका, वैश्विक आर्थिक शासन व्यवस्था में अपनी सही जगह हासिल करने के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। इसलिए, देश की इस प्रतिज्ञा का कि “चीन बहुपक्षीय व्यापार के बचाव में अपने प्रयास बढ़ाएगा, विश्व व्यापार संगठन के सुधारों में सहयोग करेगा, और वैश्विक आर्थिक शासन व्यवस्था को निष्पक्ष और अधिक तर्कसंगत बनाने में मदद करेगा” का स्वागत किया जा रहा है।         

कम शब्दों में कहें, तो पिछली पंचवर्षीय योजना का तार्किक विस्तार होने के साथ-साथ, 14वीं पंचवर्षीय योजना में चीन ने अपना ध्यान अपने लोगों और ऐसे देशों की ज़रूरतों की ओर केंद्रित किया है जो चीन के साथ कदम से कदम मिलाकर, साझी अर्थव्यवस्था वाले एक समृद्ध विश्व का निर्माण करना चाहते हैं।

लेखक इंस्टीट्यूट ऑफ अफ़्रीकन स्टडीज़ में रिसर्च फेलो हैं और सेंटर फॉर फ़्रैंकोफ़ोन स्टडीज़, इंस्टीट्यूट ऑफ अफ़्रीकन स्टडीज़, चजियांग नॉर्मल यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष हैं।